पिछले हफ्ते बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर को एयरपोर्ट पर स्पॉट किया गया. इस दौरान उन्होंने एक रेड कलर की लॉन्ग स्कर्ट पहनी हुई थी जिसने सबका ध्यान उनकी तरफ खींचा. एक्ट्रेस इसी स्कर्ट में पिछले साल भी दिखी थीं. सेलिब्रिटीज अब ड्रेस को रिपीट कर सस्टेनेबल वियरिंग से फैशन पॉल्यूशन को कम करने में जुटे हुए हैं. लेकिन अधिकतर लोग खासकर लड़कियां इस बात से अनजान हैं कि उनका हर खरीदा हुआ कपड़ा पृथ्वी को प्रदूषित कर रहा है.
कपड़ों से बढ़ रहा फैशन पॉल्यूशन
लड़के हों या लड़कियां, उनके वॉर्डरोब में भले ही कितने कपड़े हों लेकिन शादी या फेस्टिवल में वह तुरंत मॉल से या ऑनलाइन ड्रेस ऑर्डर कर लेते हैं. दरअसल ड्रेसिंग स्टाइल अब स्टेटस सिंबल है. शोऑफ के चलते यंगस्टर ड्रेस को रिपीट नहीं करना चाहते और उनकी यही आदत फैशन पॉल्यूशन को बढ़ा रही है. फैशन इंडस्ट्री से 10% कार्बन डाइऑक्साइड निकल रही है. इंडियन टेक्सटाइल जनरल के मुताबिक भारत में हर साल 10 लाख टन से ज्यादा टेक्सटाइल वेस्ट निकलता है. वहीं, लोग हर साल 10 लाख कपड़ें फेंक देते हैं. यह फेंके हुए कपड़े या तो जला दिए जाते हैं या डंपिंग ग्राउंड पर गलते रहते हैं. इससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड फैल रही हैं. वहीं, अधिकतर कपड़े सिंथेटिक फैब्रिक से बनते हैं इसलिए इनसे माइक्रोप्लास्टिक के कण जमीन और पानी में मिलकर उसे प्रदूषित कर रहे हैं.
शॉपिंग की लत भी इसका कारण
कुछ लोगों को कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर होता है जिसे आसान भाषा में शॉपिंग की लत कहते हैं. ऐसे लोगों को कपड़ों पर पैसा खर्च करने से खुशी मिलती है. अमेरिकन साइकेट्रिक असोसिएशन ने शॉपिंग के एडिक्शन को भले ही कोई डिसऑर्डर ना माना हो, लेकिन कई रिसर्च इसे बीमारी ही मानती हैं. यह डिसऑर्डर लड़कों से ज्यादा लड़कियों में दिखता है. हेल्थलाइन के अनुसार ऐसे लोगों का इलाज बिहेवियरल थेरेपी और काउंसलिंग के जरिए किया जा सकता है.
पुराने कपड़ों को करें सेल
आजकल ऐसी कई वेबसाइट्स हैं जो लोगों को उनके पुराने कपड़े या डिफेक्टेड अनयूज्ड कपड़ों को बेचने का मौका देती है. इससे उन्हें पैसा कमाने का मौका भी मिलता है. यह कंपनियां पुराने कपड़ों को रिपेयर और री-डिजाइन कर कम दामों पर लोगों को री-सेल कर देती है. इसे री-लव और प्री-लव फैशन कहा जाता है. फैशन पॉल्यूशन को रोकने का यह एक बेहतरीन तरीका है.
सोच समझकर खरीदें कपड़े
गारमेंट वेस्ट दुनिया के साथ-साथ भारत के लिए भी सिरदर्द बन गया है. एलन मैकआर्थर फाउंडेशन के अनुसार भारत में 2 में से 1 व्यक्ति कपड़े बिना पहने ही फेंक देता है. फैशन डिजाइनर भावना जिंदल कहती हैं कि फैशन का बाजार तेजी से उभरा है. ऑनलाइन और ऑफलाइन कस्टमर के पास कई वैरायटी की ड्रेसेज के विकल्प मौजूद हैं. सालभर चलने वाली सेल और डिस्काउंट ग्राहकों को आकर्षित करते हैं जिसकी वजह से जरूरत ना होने पर भी लोग बेवजह कपड़े खरीदते रहते हैं. कपड़े तभी खरीदें जब जरूरत हो.
पुराने कपड़ों को करें रिपीट या रीडिजाइन
आलिया भट्ट ने अपनी शादी की साड़ी को नेशनल फिल्म अवॉर्ड में पहना रिपीट किया. यमी गौतम ने शादी पर अपनी मां की 33 साल पुरानी लाल साड़ी पहनी जिसे उन्होंने अपनी मम्मी के दुपट्टे से ही पेयर किया. जब बॉलीवुड एक्ट्रेस पुराने कपड़े को रिपीट या रीडिजाइन कर सकती हैं तो सब कर सकते हैं. फैशन डिजाइनर भावना जिंदल के अनुसार पहले के जमाने में दादी-नानी बहू-बेटियों को अपनी साड़ी पहनने को देती थीं. जब बच्चा होता था तो उसे अपने बड़े भाई-बहनों के कपड़े पहनाए जाते थे. अगर इस ट्रेडिशनल को दोबारा अपनाया जाए तो पर्यावरण कपड़ों से दूषित नहीं होगा.
शादी के लहंगों को री-सेल करें
पैसों और कपड़ों की सबसे ज्यादा बर्बादी शादी में होती है. दुल्हनों डिजाइनर लहंगे के चक्कर लाखों रुपए बर्बाद कर देती हैं जो केवल कुछ घंटों के लिए पहना जाता है और फिर अलमारी में पैक होकर बंद हो पड़ा रहता है. लहंगा अगर खरीद ही लिया है तो उसे री-सेल किया जा सकता है और शादी होने वाली है तो रेंट पर लहंगा लेना ही समझदारी है.
कॉटन है बेस्ट
आजकल कई कपड़े सस्टेनेबल फैशन के तहत बनाए जा रहे हैं. इन्हें बनाने के दौरान इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि फैशन पॉल्यूशन ना हो. सस्टेनेबल फैशन में कॉटन फैब्रिक से ड्रेस बनाई जाती हैं. इनके बटन भी लकड़ी के होते हैं. इन्हें कलर करने के लिए केमिकल ड्राई की जगह ऑर्गेनिक कलर इस्तेमाल होते हैं. यहीं नहीं इनकी बची हर छोटी कतरन से रुमाल, पर्स, बेल्ट और बाकी एक्सेसरीज डिजाइन होती है. फैशन वर्ल्ड में इसे जीरो वेस्ट कहते हैं.
हर दिन रेंट पर कपड़े पहनें
अपनी अलमारी में कपड़ों का ढेर लगाने से बेहतर है कि कपड़ों को रेंट पर पहना जाए. डिजिटल होती दुनिया में ऐसी कई वेबसाइट हैं जो किराए के कपड़ों को डिलीवर करने और पिकअप की फ्री सुविधा देती है. आप इन्हें ट्राई करके भी रेंट पर ले सकते हैं. इसमें स्मॉल, मीडियम, लार्ज और एक्सएल साइज आता है. कुछ कंपनी इसके लिए सिक्योरिटी मनी लेती हैं. अगर ड्रेस फट जाए तो पैसे रिफंड नहीं होते. कुछ कंपनियां ड्रेस को महीने या साल भर के सब्सक्रिप्शन पर भी देती हैं. एक्स्ट्रा चार्ज देने पर पर्सनल स्टाइलिस्ट भी मिल जाता है.
सदाबहार प्रिंट चुनें
फैशन डिजाइनर भावना जिंदल के अनुसार फैशन पॉल्यूशन को रोकने के लिए ड्रेसेज के ऐसे प्रिंट चुनने चाहिए जो हमेशा सदाबहार रहते हैं. एनिमल प्रिंट, फ्लोरल प्रिंट और जियोमेट्रिक प्रिंट हमेशा फैशन में रहते हैं. इन सदाबहार प्रिंट की ड्रेसेज कभी भी आउटडेटेड नहीं लगेगी
Source : https://hindi.news18.com/news/lifestyle/fashion-how-to-stop-fashion-pollution-take-tips-from-bollywood-celebrities-8668428.html
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